इन्द्र्देव ने भेज दिया है
धरती को पैगाम।
बूँदों से है लिखी इबारत।
बदलेगी जन-जन की किस्मत।
मानसून इस बार करेगा
सबके मन की पूरी हसरत।
भर चौमासा घन बरसेंगे
झूम झूम अविराम।
हरषेगा खेतों में हँसिया।
अन्न बीज रोपेगा हरिया।
उड़ जाएगी निकल नीड़ से
बेबस हो महँगाई चिड़िया।
हल बैलों सँग गीत महिया
गाएगा सुखराम।
होंगे व्यस्त घरों के कोने।
बाँटेंगे भर दूध भगोने।
इसकी-उसकी टंगी मथानी
उतरेगी फिर दही बिलोने।
तवा तपेली रोज़ तपेंगे
घर-घर सुबहो-शाम।
-कल्पना रामानी
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