रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

मेरे बारे में
कल्पना रामानी
Showing posts with label संध्या रानी जल्दी आओ. Show all posts
Showing posts with label संध्या रानी जल्दी आओ. Show all posts

Friday, 30 March 2018

संध्या रानी जल्दी आओ


दिनकर दीदे फाड़ तक रहा
संध्या रानी जल्दी आओ

मैं चरवाहा भटका दिन-भर
लेकिन छाँव न पाई पिन भर
आफताब यह बड़ा संगदिल 
दूर नहीं हटता है छिन-भर

हे देवी! है विनती तुमसे
निज छतरी में हमें छिपाओ

चाट गया जल, जलता तापक
घास चर गईं किरणें घातक  
जान हथेली लिए फिरेंगे
भूखे-प्यासे ढोर कहाँ तक?

कान बंद मत करो सुकन्या!
मानो बात रहम दिखलाओ

दहक रहे हैं दिन भट्टी बन 
भून रहे बेखता प्राण-तन 
खाल खींच खुशहाल हो रही 
रह-रह धूप हठीली बैरन     

ऐसे में हे साँझ-सयानी!
किसे पुकारूँ तुम्हीं बताओ  

-कल्पना रामानी

पुनः पधारिए


आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।

धन्यवाद सहित

--कल्पना रामानी

Followers