एक साल के प्रियम पाहुने
नवल वर्ष तव अभिनंदन।
इंद्र्धनुष के सतरंगों से
इंद्र्धनुष के सतरंगों से
कुदरत ने श्रंगार किए।
हर उपवन में फूल नए हैं
हर डाली पर पात नए।
अंतरमन महकाकर कर दो
जीवन को चन्दन-चन्दन।
दुर्भावों की चिता सजे औ
सद्भावों की ज्योत बढ़े।
प्रेम त्याग के तटबंधों में
जीवन धारा फिर पहुँचे।
निर्झर से हम हों प्रवाहमय
काटो हर बाधित बंधन।
भ्रष्ट राज के बनें विरोधी
सबल सुशासन लाएँ आज।
जो खल लूटे अमन देश का
कफन उसे पहनाएँ आज।
गर्व करे नव पीढ़ी हम पर
गर्व करे नव पीढ़ी हम पर
ऐसा हो इतिहास सृजन।
-कल्पना रामानी
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