रचना चोरों की शामत

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कल्पना रामानी

Monday, 31 December 2012

श्री गणेश हो शुभ कर्मों का


श्री गणेश हो शुभ कर्मों का
नए वर्ष का हुआ प्रवेश

काल चक्र कब कहाँ रुका है
गतिमय दिन रात
भूल पुराना बढ़ते जाएँ
नए वक्त के साथ

बातें सारी खो जाती हैं
रह जाती हैं यादें शेष

कटुताओं के पृष्ठ फाड़कर
फिर से लिखें किताब
शब्द शब्द में नवजीवन हो
मानवता की आब

सत्कर्मों की जुड़े श्रंखला
बन जाए यह साल विशेष

दृढ़ताओं के बल से तोड़ें
दकियानूस रिवाज
क्षमताओं से नवनिर्मित हो
उन्नत एक समाज

सुलझा लें उलझे धागों को
गाँठें रह जाएँ ना  शेष

-कल्पना रामानी 

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--कल्पना रामानी

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