एक दीपक तुम जलाओ, इक जलाऊँ मैं।
घोर तम की यामिनीदुल्हन बनी इतरा रही।
अवनि से अंबर तलक
ज्योतिरमई मन भा रही।
रोशनी की रीत यह, युग युग से कायम है।
दीप में प्रिय, घृत भरो, बाती सजाऊँ मैं।
सज रही आँगन रंगोली
द्वार लड़ियाँ हार हैं।
नवल वस्त्रों में सभी
छोटे बड़े तैयार हैं।
यह सगुन की रात है, सँग साज़ सरगम है
प्रिय, सुरों में साथ दो, शुभ गीत गाऊँ मैं।
शोर से गुंजित दिशाएँ
पटाखों का दौर है।
जोश जन जन मन पे छाया
पर्व का पुरजोर है।
यह बुराई पर विजय के, जश्न का दिन है
फुलझड़ी तुम थाम लो, प्रिय! लौ दिखाऊँ मैं।
थाल हैं पकवान के
पूजा की शुभ थाली सजी।
कमल पर आसीन है
कर दीप धारी लक्ष्मी।
प्रिय, करो तुम आरती, माँ को मनाऊँ मैं।
-कल्पना रामानी
1 comment:
दीपावली के अवसर पर सुन्दर नवगीत के लिए शुभकामनायें।
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