नव प्रभात की सूर्य किरण से
आलोकित घर का निखार हो।
आँगन की मृदु महक माधुरी
बेटी तुम, सबका दुलार हो।
ब्रह्मा का उत्कृष्ट सृजन तुम
निर्मल,कोमल,सुंदर तन तुम
कर्म योगिनी,स्वत्व स्वामिनी
स्वजनों की स्नेहिल पुकार हो
बेटी तुम, सबका दुलार हो!
खिली खिली खुशरंग हिना तुम
चंचल, चतुर, चारु-वदना तुम
मृगनयनी, मृदु बयन भाषिणी
मातृ-पितृ मन का मल्हार हो
बेटी तुम, सबका दुलार हो।
सप्त सुरों का साज वृंद तुम
सुगम हास्य का मुक्त छंद तुम
सुर सुबोधिनी, रसित रागिनी
मधुर तान, बजता सितार हो
बेटी तुम, सबका दुलार हो।
मधुबन की मोहक सुगंध तुम
नवरंगों का सुमन कुंज तुम
नव हरीतिमा, नवल पीतिमा
ऋतु बसंत की, नव बहार हो
बेटी तुम, सबका दुलार हो।
- कल्पना रामानी
No comments:
Post a Comment