फागुन लाया।
रंग कलश भर लाल
आइये होली खेलें।
कोयलिया की
कूक छा गई कुंज बनन में।
पायलिया हर
पाँव बंध गई हर आँगन में।
लदी बौर से
डाल, आम्र-तरु की बागन में।
मूक हुए वाचाल
आइये होली खेलें।
फूल-फूल ने
जल में आकर डुबकी मारी।
लाल लाल हुई
फुलबगिया की क्यारी-क्यारी।
लगे फूटने
गुब्बारे, तन गई पिचकारी।
झूमें जन बिन ताल
आइये होली खेलें।
क्या खुमार है
खूब! युवाओं पर मौसम का।
सारा आलम
भाँग घोटने आकर धमका।
सुर सरगम पर
पग-पग बहका, घुँघरू खनका।
मन भर उड़ा गुलाल
आइये होली खेलें।
- कल्पना रामानी
1 comment:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति .. .. आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें ..
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