Thursday, 6 March 2014
होली का संदेश
फागुन आया लिए साथ में,
होली का संदेश।
रंग भरे गुब्बारों में,
हमजोली का संदेश।
लुभा रहे मिष्ठान्न रँगीले।
पूरनपोली पाक रसीले।
स्वागत करती द्वार अल्पना,
घुटी भंग के दौर नशीले।
देख-देख मन लगा मचलने,
सब्र नहीं अब शेष।
मची युवाओं में धमाल है।
मन अबीर केसर गुलाल है।
ऋतु बसंत का न्यौता पाकर,
उमड़ पड़ा जन जन कमाल है।
तन रँगने को आतुर हैं गुल,
टेसू बना विशेष।
नव-वधुएँ भी रंग सँजोकर।
इंतज़ार में रहीं साल भर।
भीगे भाव हृदय के सारे,
रखे चुनरिया गाँठ बाँधकर।
आएँगे प्रियतम इस होली,
जो हैं दूर विदेश
बिन रँग पर्व लगे यह फीका।
घोलें रंग प्रेम का तीखा।
कोरा कोई गाल न छूटे,
भाल गुलाल सभी के टीका।
शत्रु मित्र हों एक मेटकर,
मन के सारे क्लेश।
-कल्पना रामानी
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आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।
धन्यवाद सहित
--कल्पना रामानी
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