ऐ वक्त अपने कुछ पल
प्रियतम को देके आओ
कोई याद कर रहा है
संदेश यह सुनाओ।
सपना नहीं है जीवन
इक लंबी हक़ीक़त है।
मिलकर इसे जियें हम
बस एक ही हसरत है।
क्यों टालते हैं हँसकर
यह पूछकर तो आओ।
कोई आह भर रहा है
संदेश यह सुनाओ।
छोटी सी मेरी दुनिया
छोटा सा आशियाना।
तुम वक्त मेरे घर में
हर वक्त चले आना।
खोया है मीत मेरा
उसे ढूँढकर तो लाओ
कोई राह तक रहा है
संदेश यह सुनाओ।
चाहत हुई है आहत
है व्यस्तता बहाना।
दिल तोड़ने का उनका
अंदाज़ कातिलाना।
हम रूठ गए कह दो
आकर हमें मनाओ।
दिलदार घुट रहा है
संदेश यह सुनाओ।
कल वक्त तुम तो होगे
पर हम न वो रहेंगे।
खुशियों भरे ये लम्हें
तब अलविदा कहेंगे।
जो आज है, अभी है
वही सत्य है बताओ।
ऐ वक्त अपने कुछ पल
प्रियतम को देके आओ।
-कल्पना रामानी
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पुनः पधारिए
आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।
धन्यवाद सहित
--कल्पना रामानी
1 comment:
ऐ वक्त अपने कुछ पल,
प्रियतम को देके आओ।
...वाह...लाज़वाब अहसास...बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...
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