रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Friday, 10 June 2011

कोई याद कर रहा है

वक्त अपने कुछ पल
प्रियतम  को देके आओ
कोई याद कर रहा है
संदेश यह सुनाओ।
 
सपना नहीं है जीवन
इक लंबी हक़ीक़त है।
मिलकर इसे जियें हम
बस एक ही हसरत है।
क्यों टालते हैं हँसकर
यह पूछकर तो आओ।
कोई आह भर रहा है
संदेश यह सुनाओ।
 
छोटी सी मेरी दुनिया
छोटा सा आशियाना।
तुम  वक्त मेरे घर में
हर वक्त चले आना।
खोया है मीत मेरा
उसे ढूँढकर तो लाओ
कोई राह  तक  रहा है
संदेश यह सुनाओ।
 
चाहत हुई है आहत
है व्यस्तता बहाना।
दिल तोड़ने का उनका
अंदाज़ कातिलाना।
हम रूठ गए कह दो
आकर हमें मनाओ।
दिलदार घुट रहा है
संदेश यह सुनाओ।
 
कल वक्त तुम तो होगे
पर हम वो रहेंगे।
खुशियों भरे ये लम्हें 
तब अलविदा कहेंगे।
जो आज है, अभी है
वही सत्य है बताओ।
वक्त अपने कुछ पल  
प्रियतम को देके आओ।


-कल्पना रामानी

1 comment:

Kailash Sharma said...

ऐ वक्त अपने कुछ पल,
प्रियतम को देके आओ।
...वाह...लाज़वाब अहसास...बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...

पुनः पधारिए


आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।

धन्यवाद सहित

--कल्पना रामानी

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