रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Tuesday, 17 December 2019

साल तो आया नवल

साल तो आया नवल शुभकार  
उसका सार जानें।  
कुछ नया करना हमें ही  
कार्य होगा इस
बहाने।

छोड़ कल के छल, छिछोरापन
ज़रा गांभीर्य ओढ़ें।
मात दे दुर्मिल भँवर को, नाव
तट की ओर मोड़ें।

हो जमी काई जहाँ पर
पग नहीं उस पथ
बढ़ाने।

माफ सारे पाप होंगे, जाप
यदि होंगे हया के।
प्रार्थना, चिंतन, मनन ही, द्वार
खोलेंगे दया के।

भावना भरपूर हो तो  
शंख गूँजें या  
अजानें। 

प्राप्त करना लक्ष्य है, इस साल में
यह याद रक्खें।
हौसले कायम रहें, हर हाल में
यह याद रक्खें।

है हमें खुद को बदलना
बात यह इस बार
ठानें।  

  

-कल्पना रामानी

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--कल्पना रामानी

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