रचना चोरों की शामत

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कल्पना रामानी

Wednesday, 7 January 2015

गीत मन के मीत

Women, Happy, Shawl, People, The Sea, Pier, Wood, Green
साज, सुर, आवाज़, सरगम

ज़िंदगी के गीत हैं
जुड़ा इनसे मन का बंधन
गीत मन के मीत हैं।

गए उत्सव के दिन
फिर,स्नेह की कड़ियाँ जुड़ीं।
आसमाँ से आज उतरी
ज्यों सुहानी ऋतु परी।

रात पूनम प्रात शबनम
ज़िंदगी के गीत हैं।
अब अँधेरों का नहीं गम
गीत मन के मीत हैं।

फिर मिला बचपन, बहारें
कर रहीं अठखेलियाँ।
फूल पत्तों पर रची हैं
जल कणों की रेलियाँ।

हरित सावन, मुदित उपवन
जिंदगी के गीत हैं
क्यों महके मन का मधुबन
गीत मन के मीत हैं।

पर्वतों पर चंद्रिका की आब 
उजली खीर सी।
बन गए राँझे समंदरऔर
नदियाँ हीर सी।

धार की धुन, प्यार हर दिन
ज़िंदगी के गीत हैं
साथ सारा है ये आलम
गीत मन के मीत हैं।
"हौसलों के पंख" से


-कल्पना रामानी

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--कल्पना रामानी

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