रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

मेरे बारे में
कल्पना रामानी

Friday, 30 August 2013

मौसम बदला, गीत सलोने















मौसम बदला,गीत सलोने
बिखरे चारों ओर।
मन पतंग को लगे उड़ाने
उत्सव लेकर डोर!

समाचार
हैं बिछे लान में
शतरंजी बाज़ी बगान में
चुस्की चाय, कहकहे काफी
सहेलियों के
झुरमुट झाँकी


मंद-मंद है पवन सुहानी
रस भीगी है भोर!

झाँक रहा
कोहरे का दामन
शीतलता से सिहरा आँगन

त्योहारों के मौसम आए
खील-बताशे
सबको भाए।

दीप देहरी खूब सजेंगे
नाच रहे मनमोर!

-कल्पना रामानी

No comments:

पुनः पधारिए


आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।

धन्यवाद सहित

--कल्पना रामानी

Followers