मौसम बदला,गीत सलोने
बिखरे चारों ओर।
मन पतंग को लगे उड़ाने
उत्सव लेकर डोर!
समाचार
हैं बिछे लान में
शतरंजी बाज़ी बगान में
चुस्की चाय, कहकहे काफी
सहेलियों के
झुरमुट झाँकी
मंद-मंद है पवन सुहानी
रस भीगी है भोर!
झाँक रहा
कोहरे का दामन
शीतलता से सिहरा आँगन
त्योहारों के मौसम आए
खील-बताशे
सबको भाए।
दीप देहरी खूब सजेंगे
नाच रहे मनमोर!
-कल्पना रामानी
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