जब जब ताप
बढ़ेगा चम्पा
पेड़ तुम्हारे
छाँव करेंगे
रूप, सुगंध, गुणों की मलिका
तुम महकोगी, हम
महकेंगे।
नागफनी ने
किया आक्रमण
जीवन के
उद्यानों पर।
हर आँगन में
बसा लिए हैं
अपने साथी
अपने घर।
विचलित है
अंतर जन-जन का
रंग तुम्हारे
भाव भरेंगे।
तन कंचन, मन कोमल कलिका
तुम किलकोगी, हम
किलकेंगे।
जहाँ नहीं शुभ
कदम तुम्हारे
हम बोएँगे बीज
वहाँ।
अमलतास, कचनार, बाँस भी
संग तुम्हारे
होंगे हाँ।
जब रोगों की
होगी बरखा
प्राण-सुधा
तुमसे हम लेंगे।
कभी न होना, धूमिल चम्पा
तुम हर्षोगी, हम
हर्षेंगे।
-कल्पना रामानी
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