गुन स्वतन्त्रता गान, तिरंगा
लहर लहर
लहराया।
पिंजड़ा लेकर उड़ीं
चिरैयाँ
जाल काटने लगीं
मछलियाँ
क्रूर वधिक के कत्लगाह से
खूँटे खींच ले गईं
गैयाँ
रामदीन के
हथ-रिक्शे ने
गति को और बढ़ाया।
खूब सज रही झण्डा-झाँकी
किसे खबर पर, दीन-जहाँ की
कब आए, ले गए तकादे
छत उखाड़, गूँगी धनियाँ की
किसने देखा कृपाराम
ने
क्योंकर हंटर खाया।
लाखों जुटे हुए
अनुगामी
नमित-शीश दे रहे
सलामी
मगर अधर में प्रश्न
वही, क्या
हुई नेस्तनाबूद
गुलामी?
सड़सठ सावन बरसे पर
क्या
सुखद मेह भी आया?
सुखद मेह भी आया?
-कल्पना रामानी
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