रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Monday 10 August 2015

तिरंगा लहर लहर लहराया


गुन स्वतन्त्रता गान, तिरंगा
लहर लहर लहराया। 

पिंजड़ा लेकर उड़ीं चिरैयाँ
जाल काटने लगीं मछलियाँ
क्रूर वधिक के कत्लगाह से 
खूँटे खींच ले गईं गैयाँ

रामदीन के हथ-रिक्शे ने
गति को और बढ़ाया।

खूब सज रही झण्डा-झाँकी
किसे खबर पर, दीन-जहाँ की
कब आए, ले गए तकादे
छत उखाड़, गूँगी धनियाँ की

किसने देखा कृपाराम ने
क्योंकर हंटर खाया।

लाखों जुटे हुए अनुगामी
नमित-शीश दे रहे सलामी
मगर अधर में प्रश्न वही, क्या
हुई नेस्तनाबूद गुलामी?

सड़सठ सावन बरसे पर क्या      
सुखद मेह भी आया?

-कल्पना रामानी  

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--कल्पना रामानी

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