रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Monday 30 December 2013

नव वर्ष आया



एक पावन मंत्र गूँजा
नेह का नवगीत बनकर
शंख से बोला बजो
नव वर्ष आया।

शांत कोहरे ने बनाया
आसमां में इक झरोखा।
गुनगुनी सी धूप ने 
शीतल हवा का वेग रोका।

एक अंकुर प्रात फूटा
हर अँगन में प्रीत बनकर।
नींद से बोला उठो
नव वर्ष आया।

नीड़ अपना छोड़ चिड़ियाँ
पर पसारे चहचहाईं।
डाल चटकीं चारु कलियाँ
भँवरों से नज़रें मिलाईं।

एक निश्चय पुनः पनपा
हर नयन में जीत बनकर।
कर पकड़ बोला-बढ़ो
नव वर्ष आया। 

मंदिरों ने मस्जिदों को
मिलन का संदेश भेजा।
बाग ने खलिहान को भर
अंक में अपने सहेजा। 
  
एक शहरी गाँव आया
पाँव चलके मीत बनकर। 
पर्व है बोला- चलो
नव वर्ष आया।

- कल्पना रामानी 

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--कल्पना रामानी

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