रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Wednesday, 4 September 2013

जय भारत माँ!



यह भूमि अहा! मम भारत की
सुजला, सुफला, महकी-महकी
इस भू पर जन्म अनंत लिए
सुख सूर्य, अनेक बसंत जिये
 
यह स्वर्ग धरा पर और कहाँ?
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
 
सिर, ताज हिमालय शोभित है
चरणों पर सागर मोहित है
हर रात यहाँ पर पूनम की
हर प्रात सुवर्णिम सूरज की
 
बहतीं यमुना अरु गंग यहाँ
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
 
यह भूमि पुरातन वैभव की
यह भूमि सनातन गौरव की
यह संस्कृति की बहती सरिता
अति पावन है यह वेद ऋचा
 
इतिहास यही कहतीं सदियाँ  
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
 
हर हाथ जुड़े नित वंदन को
हर शीश झुके अभिनंदन को
यह पोषक है, अभिभावक है
सुखकारक है, वरदायक है
  
नित गुंजित हो इसकी महिमा
जय भारत माँ! जय भारत माँ!
 
हम याद रखें, यह माँ सबकी
जिस छोर बसें, सुध लें इसकी
बन सेवक हों, इसके प्रहरी
पनपे मन में ममता गहरी
 
कम हो कभी इसकी गरिमा
जय भारत माँ! जय भारत माँ!


-कल्पना रामानी

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